मानोगे इक बात कहो तो बोलूँ मैं
होने को है रात कहो तो बोलूँ मैं
पाँच बजे ही मेरी बारी थी थी ना
हुए हैं पौने सात कहो तो बोलूँ मैं
बूँद बूँद में ख़ून उतर आया देखो
कैसी है बरसात कहो तो बोलूँ मैं
गोया ऐसा खेल नहीं है दुनिया में
शह में बैठी मात कहो तो बोलूँ मैं
इंसाँ हो तो इंसाँ रहना सीखो और
गंदी गंदी बात कहो तो बोलूँ मैं
काले कर्तब काले धंधे वाले लोग
पूछ रहे हैं ज़ात कहो तो बोलूँ मैं
केवल आँतें टूट रही हैं बाक़ी 'दीप'
अच्छे हैं हालात कहो तो बोलूँ मैं
ग़ज़ल
मानोगे इक बात कहो तो बोलूँ मैं
दीपक शर्मा दीप