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मानी ने जो देखा तिरी तस्वीर का नक़्शा | शाही शायरी
mani ne jo dekha teri taswir ka naqsha

ग़ज़ल

मानी ने जो देखा तिरी तस्वीर का नक़्शा

नज़ीर अकबराबादी

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मानी ने जो देखा तिरी तस्वीर का नक़्शा
सब भूल गया अपनी वो तहरीर का नक़्शा

उस अबरू-ए-ख़मदार की सूरत से अयाँ है
ख़ंजर की शबाहत दम-ए-शमशीर का नक़्शा

क्या गर्दिश-ए-अय्याम है ऐ आह-ए-जिगर-सोज़
उल्टा नज़र आया तिरी तासीर का नक़्शा

दिन रात तिरे कूचे में रोवे है हमेशा
आशिक़ के ये है मंसब ओ जागीर का नक़्शा

तदबीर तो कुछ बन नहीं आती है 'नज़ीर' आह
अब देखिए क्या होता है तक़दीर का नक़्शा