माल-ए-दुनिया तलाश करना है
या'नी रुत्बा तलाश करना है
आज इंसाँ को तपते सहरा में
बहता दरिया तलाश करना है
तो कुँवारी है कब से ऐ दुनिया
तेरा रिश्ता तलाश करना है
अब चराग़ों की लौ नहीं मंज़ूर
यद-ए-बैज़ा तलाश करना है
दुश्मनी प्यार से भी कुछ अच्छा
दरमियाना तलाश करना है
कर चुके सैर हम समुंदर की
अब किनारा तलाश करना है
मुझ को फिर से किताब-ए-माज़ी में
तेरा चेहरा तलाश करना है
'अब्र' दुनिया को छोड़ जाने का
इक बहाना तलाश करना है
ग़ज़ल
माल-ए-दुनिया तलाश करना है
अनीस अब्र