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लुत्फ़ से मतलब न कुछ मेरे सताने से ग़रज़ | शाही शायरी
lutf se matlab na kuchh mere satane se gharaz

ग़ज़ल

लुत्फ़ से मतलब न कुछ मेरे सताने से ग़रज़

बेख़ुद देहलवी

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लुत्फ़ से मतलब न कुछ मेरे सताने से ग़रज़
शोख़ियों से काम उन को मुस्कुराने से ग़रज़

उस गली से काम उन का सामना हो या न हो
मुझ को हो आना वहाँ तक हर बहाने से ग़रज़

शिकवा-ए-अग़्यार पर ज़ालिम ने यूँ टाला मुझे
तुम को हम से काम है तुम को ज़माने से ग़रज़

कोई मौसम कोई दिन हो इस से कुछ मतलब नहीं
हज़रत-ए-'बेख़ुद' को है पीने पिलाने से ग़रज़