EN اردو
लोगों के सभी फ़लसफ़े झुटला तो गए हम | शाही शायरी
logon ke sabhi falsafe jhuTla to gae hum

ग़ज़ल

लोगों के सभी फ़लसफ़े झुटला तो गए हम

इमरान हुसैन आज़ाद

;

लोगों के सभी फ़लसफ़े झुटला तो गए हम
दिल जैसे भी समझा चलो समझा तो गए हम

मायूस भला क्यूँ हैं ये दुनिया के मनाज़िर
अब आँखों में बीनाई लिए आ तो गए हम

किस बात पे रूठे दर-ओ-दीवार-ए-मकाँ हैं
कुछ देर से आए हैं मगर आ तो गए हम

ख़ुद राख हुए सुब्ह तलक सच है ये लेकिन
ऐ रात तिरे जिस्म को पिघला तो गए हम

रोए हँसे उजड़े बसे बिछड़े भी मिले भी
दिल सारे तमाशे तुझे दिखला तो गए हम

क्यूँ हाशिए पर आज भी रखती है कहानी
किरदार निभाने का हुनर पा तो गए हम

अब बढ़ के ज़रा ढूँढ लें मंज़िल के निशाँ भी
उकताए हुए रास्ते बहला तो गए हम

साबुन की तरह ख़ुद को गलाना पड़ा बे-शक
पर लफ़्ज़-ए-मोहब्बत तुझे चमका तो गए हम