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लोग करने लगे जवाब तलब | शाही शायरी
log karne lage jawab talab

ग़ज़ल

लोग करने लगे जवाब तलब

राज़िक़ अंसारी

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लोग करने लगे जवाब तलब
अब अदालत में हों जनाब तलब

वो चराग़ों से हाथ धो बैठे
कर रहे थे जो आफ़्ताब तलब

ज़ख़्म कुछ और दर्ज करने हैं
कीजिए मत अभी हिसाब तलब

दे चुकी नींद अपनी मंज़ूरी
कर लिए जाएँ सारे ख़्वाब तलब

माँगना है तो फिर चमन माँगें
क्यूँ करें एक दो गुलाब तलब