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लहू-लुहान सा मंज़र हमारी आँख में है | शाही शायरी
lahu-luhan sa manzar hamari aankh mein hai

ग़ज़ल

लहू-लुहान सा मंज़र हमारी आँख में है

अहसन इमाम अहसन

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लहू-लुहान सा मंज़र हमारी आँख में है
हमारा जलता हुआ घर हमारी आँख में है

फ़साद में जो तबाही हुई हमारे यहाँ
उसी का आज भी इक डर हमारी आँख में है

हमारी सम्त उछाला गया था जो इक दिन
लहू से सुर्ख़ वो पत्थर हमारी आँख में है

निज़ाम हिन्द का बिगड़ा है जब से ऐ 'अहसन'
तभी से सुर्ख़ समुंदर हमारी आँख में है

उसे न छीन सका कोई मुझ से ऐ 'अहसन'
उभरता डूबता अख़्तर हमारी आँख में है