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लफ़्ज़ों को सजा कर जो कहानी लिखना | शाही शायरी
lafzon ko saja kar jo kahani likhna

ग़ज़ल

लफ़्ज़ों को सजा कर जो कहानी लिखना

सदफ़ जाफ़री

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लफ़्ज़ों को सजा कर जो कहानी लिखना
हो ज़िक्र लहू का भी तो पानी लिखना

अब अक्स-ए-मोहब्बत भी हुआ है कमयाब
इस दौर में है कैसी गिरानी लिखना

गो याद है अब तक मुझे ग़म का मौसम
पर ठीक नहीं दिल की कहानी लिखना

रफ़्तार-ए-हवा तेज़ हुई है कि नहीं
ये देख के पानी की रवानी लिखना

पीरी के नगर में तो है कोहराम बपा
किस हाल में है शहर-ए-जवानी लिखना

गुज़रे हुए दिन का हो अगर ज़िक्र 'सदफ़'
गुज़री है जो इक शाम सुहानी लिखना