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लड़का जो ख़ूब-रू है सो मुझ से बचा नहीं | शाही शायरी
laDka jo KHub-ru hai so mujhse bacha nahin

ग़ज़ल

लड़का जो ख़ूब-रू है सो मुझ से बचा नहीं

ताबाँ अब्दुल हई

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लड़का जो ख़ूब-रू है सो मुझ से बचा नहीं
वो कौन है कि जिस से मैं यारो मिला नहीं

ऐ बुलबुलो चमन में न जाओ गई बहार
गुलशन में ख़ार-ओ-ख़स के सिवा कुछ रहा नहीं

है क्या सबब कि यार न आया ख़बर के तईं
शायद किसी ने हाल हमारा कहा नहीं

आता नहीं वो यार-ए-सितमगर तो क्या हुआ
कोई ग़म तो उस का दिल से हमारे जुदा नहीं

तारीफ़ उस के क़द की करें किस तरह से हम
'ताबाँ' हमारी फ़िक्र तो ऐसी रसा नहीं