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लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का | शाही शायरी
lab-e-KHushk dar-tishnagi-murdagan ka

ग़ज़ल

लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का

मिर्ज़ा ग़ालिब

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लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का
ज़ियारत-कदा हूँ दिल-आज़ुर्दगाँ का

हमा ना-उमीदी हमा बद-गुमानी
मैं दिल हूँ फ़रेब-ए-वफ़ा-ख़ुर्दगाँ का

शगुफ़्तन कमीं-गाह-ए-तक़रीब-जूई
तसव्वुर हूँ बे-मोजिब आज़ुर्दगाँ का

ग़रीब-ए-सितम-दीदा-ए-बाज़-गश्तन
सुख़न हूँ सुख़न बर लब-आवुर्दगाँ का

सरापा यक-आईना-दार-ए-शिकस्तन
इरादा हूँ यक-आलम-अफ़्सुर्दगाँ का

ब-सूरत तकल्लुफ़ ब-मअ'नी तअस्सुफ़
'असद' मैं तबस्सुम हूँ पज़मुर्दगाँ का