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लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी | शाही शायरी
lab-e-isa ki jumbish karti hai gahwara-jambani

ग़ज़ल

लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी

मिर्ज़ा ग़ालिब

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लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी
क़यामत कुश्त-ए-लाल-ए-बुताँ का ख़्वाब-ए-संगीं है

बयाबान-ए-फ़ना है बाद-ए-सहरा-ए-तलब 'ग़ालिब'
पसीना-तौसन-ए-हिम्मत तो सैल-ए-ख़ाना-ए-जीं है