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लाखों में इंतिख़ाब के क़ाबिल बना दिया | शाही शायरी
lakhon mein intiKHab ke qabil bana diya

ग़ज़ल

लाखों में इंतिख़ाब के क़ाबिल बना दिया

जिगर मुरादाबादी

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लाखों में इंतिख़ाब के क़ाबिल बना दिया
जिस दिल को तुम ने देख लिया दिल बना दिया

हर-चंद कर दिया मुझे बर्बाद इश्क़ ने
लेकिन उन्हें तो शेफ़्ता-ए-दिल बना दिया

पहले कहाँ ये नाज़ थे ये इश्वा ओ अदा
दिल को दुआएँ दो तुम्हें क़ातिल बना दिया