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लाएक़ कुछ नालायक़ बच्चे होते हैं | शाही शायरी
laeq kuchh nalaeq bachche hote hain

ग़ज़ल

लाएक़ कुछ नालायक़ बच्चे होते हैं

प्रताप सोमवंशी

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लाएक़ कुछ नालायक़ बच्चे होते हैं
शेर कहाँ सारे ही अच्छे होते हैं

औरों के दुख में आँखें भर आती हैं
ऐसे आँसू ख़ालिस सच्चे होते हैं

बच्चों की ख़ुशियाँ ढेरों सुख देती हैं
हाथ में उम्मीदों के लच्छे होते हैं

हम ही उल्टा-सीधा सोचा करते हैं
रिश्ते थोड़े पक्के कच्चे होते हैं

जब आँखों का एक भरोसा ढहता है
सपनों के लाखों परख़च्चे होते हैं

मीठे लोगों से मिल कर हम ने जाना
तीखे कड़वे अक्सर सच्चे होते हैं