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क्या तुझ पर भी बेचैनी सी तारी है | शाही शायरी
kya tujh par bhi bechaini si tari hai

ग़ज़ल

क्या तुझ पर भी बेचैनी सी तारी है

पूनम यादव

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क्या तुझ पर भी बेचैनी सी तारी है
मुझ पर तो ये हिज्र बहुत ही भारी है

भागो भागो दुनिया के पीछे भागो
मुझ को मुझ में रहने की बीमारी है

बे-अदबी की बात अदब से करते हैं
कम-ज़र्फ़ों में किस हद तक मक्कारी है

जिस शोहरत पर तुम इतना इतराते हो
मैं ने उस को हर दम ठोकर मारी है

तेरा ग़म है जो लिखवाता रहता है
वर्ना मुझ में कब इतनी फ़नकारी है