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क्या शोख़ अचपले हैं तेरे नयन ममोला | शाही शायरी
kya shoKH achpale hain tere nayan mamola

ग़ज़ल

क्या शोख़ अचपले हैं तेरे नयन ममोला

आबरू शाह मुबारक

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क्या शोख़ अचपले हैं तेरे नयन ममोला
जिन कूँ नरख जले हैं सब मनहरन ममोला

बर में ख़याल के भी क्यूँकर के आ सके दिल
नाज़ुक है जान सेती तेरा बदन ममोला

जो इक निगह करो तुम करते हो काम सो तुम
सीखे कहाँ सीं हो तुम ये मक्र-ओ-फ़न ममोला

आज़ाद सब जगत के आ कर ग़ुलाम होवें
जब बूदली बनावे अपना बरन ममोला

क़द सर्व चश्म नर्गिस रुख़ गुल दहान ग़ुंचा
करता हूँ देख तुम कूँ सैर-ए-चमन ममोला

हर रात शम्अ के जूँ जलती है जान मेरी
जब सीं लगी है तुम सीं दिल की लगन ममोला