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क्या पूछते हो मैं कैसा हूँ | शाही शायरी
kya puchhte ho main kaisa hun

ग़ज़ल

क्या पूछते हो मैं कैसा हूँ

बक़ा बलूच

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क्या पूछते हो मैं कैसा हूँ
इक सर्द हवा का झोंका हूँ

है मिरी रूह में बेचैनी
मैं अपने आप में उलझा हूँ

है मिरा साया और कोई
मैं और किसी का साया हूँ

तू ख़ुश है अपनी दुनिया में
मैं तिरी याद में जलता हूँ

अब लौट के आ और देख 'बक़ा'
इक उम्र से तन्हा तन्हा हूँ