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क्या में क्या ए'तिबार मेरा | शाही शायरी
kya mein kya etibar mera

ग़ज़ल

क्या में क्या ए'तिबार मेरा

क़ाएम चाँदपुरी

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क्या में क्या ए'तिबार मेरा
ख़्वारी बस इफ़्तिख़ार मेरा

नासेह बोले है यूँ कि गोया
दिल पर है कुछ इख़्तियार मेरा

ऐ शाह-सवार अंद-कै जोहद
ज़ख़्मी है निपट शिकार मेरा

टुक बचियो सबा कि हर क़दम पर
उस कूचे में है ग़ुबार मेरा

वो कश्ती-ए-मय दे अब के साक़ी
जिस में खेवा हो पार मेरा

सद-बहर दर-आस्तीं है जो अब्र
वो जेब है या कनार मेरा

'क़ाएम' हूँ अगरचे हेच लेकिन
क्या क्या कुछ है ए'तिबार मेरा