क्या में क्या ए'तिबार मेरा
ख़्वारी बस इफ़्तिख़ार मेरा
नासेह बोले है यूँ कि गोया
दिल पर है कुछ इख़्तियार मेरा
ऐ शाह-सवार अंद-कै जोहद
ज़ख़्मी है निपट शिकार मेरा
टुक बचियो सबा कि हर क़दम पर
उस कूचे में है ग़ुबार मेरा
वो कश्ती-ए-मय दे अब के साक़ी
जिस में खेवा हो पार मेरा
सद-बहर दर-आस्तीं है जो अब्र
वो जेब है या कनार मेरा
'क़ाएम' हूँ अगरचे हेच लेकिन
क्या क्या कुछ है ए'तिबार मेरा
ग़ज़ल
क्या में क्या ए'तिबार मेरा
क़ाएम चाँदपुरी