क्या कहूँ कि क्या हूँ मैं
संग-ए-बे-सदा हूँ मैं
दर्द-ए-ला-दवा हूँ मैं
आह-ए-ना-रसा हूँ मैं
दर्द की दवा हूँ में
प्यार की सदा हूँ में
जिस की इब्तिदा हो तुम
उस की इंतिहा हूँ में
ख़ुद ही राह-रौ भी हूँ
ख़ुद ही रहनुमा हूँ मैं
सोचना फ़ुज़ूल है
फिर भी सोचता हूँ मैं
इन पे है नज़र मेरी
ख़ुद को देखता हूँ मैं
जाने क्या हुआ मुझ को
ख़ुद से भी ख़फ़ा हूँ मैं
आओ ऐ 'वली' देखो
कैसा आईना हूँ मैं
ग़ज़ल
क्या कहूँ कि क्या हूँ मैं
वलीउल्लाह वली