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क्या हुए आशुफ़्ता-काराँ क्या हुए | शाही शायरी
kya hue aashufta-karan kya hue

ग़ज़ल

क्या हुए आशुफ़्ता-काराँ क्या हुए

जौन एलिया

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क्या हुए आशुफ़्ता-काराँ क्या हुए
याद-ए-याराँ यार-ए-याराँ क्या हुए

अब तो अपनों में से कोई भी नहीं
वो परेशाँ रोज़गाराँ क्या हुए

सो रहा है शाम ही से शहर-ए-दिल
शहर के शब-ज़िंदा-दाराँ क्या हुए

उस की चश्म-ए-नीम-वा से पूछियो
वो तिरे मिज़्गाँ-शुमाराँ क्या हुए

ऐ बहार-ए-इंतिज़ार-ए-फ़स्ल-ए-गुल
वो गरेबाँ-तार-ताराँ क्या हुए

क्या हुए सूरत-निगाराँ ख़्वाब के
ख़्वाब के सूरत-निगाराँ क्या हुए

याद उस की हो गई है बे-अमाँ
याद के बे-यादगाराँ क्या हुए