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क्या होता है ख़िज़ाँ बहार के आने जाने से | शाही शायरी
kya hota hai KHizan bahaar ke aane jaane se

ग़ज़ल

क्या होता है ख़िज़ाँ बहार के आने जाने से

हसन अकबर कमाल

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क्या होता है ख़िज़ाँ बहार के आने जाने से
सब मौसम हैं दिल खिलने और दिल मुरझाने से

एक दिया कब रोक सका है रात को आने से
लेकिन दिल कुछ सँभला तो इक दिया जलाने से

जो फूलों और काँटों की पहचान नहीं रखता
फूल नहीं रुकते घर उस का भी महकाने से

जलते नज़र नहीं आए और जल कर ख़ाक हुए
दूर का रिश्ता अपना भी निकला परवाने से

कच्ची उम्र में और सावन में कैसे बाज़ आएँ
आँखें जगमग करने से आँचल लहराने से

कितना अच्छा लगता है इक आम सा चेहरा भी
सिर्फ़ मोहब्बत-भरा तबस्सुम लब पर लाने से

गए दिनों में रोना भी तो कितना सच्चा था
दिल हल्का हो जाता था जब अश्क बहाने से

भीगी रात का सन्नाटा करता है वही बातें
ज़ख़्म हरे होते हैं जो बातें याद आने से