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क्या हमारे शौक़ भी वो कज-अदा ले जाएगा | शाही शायरी
kya hamare shauq bhi wo kaj-ada le jaega

ग़ज़ल

क्या हमारे शौक़ भी वो कज-अदा ले जाएगा

शहज़ाद अंजुम बुरहानी

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क्या हमारे शौक़ भी वो कज-अदा ले जाएगा
हम भी जाएँगे जहाँ अब रास्ता ले जाएगा

यूँ हुआ कि सब अक़ाएद रद्द कर बैठा हूँ मैं
देखना है अब कहाँ शौक़-ए-ख़ुदा ले जाएगा

बोसा ले कर मेरे माथे का किसी ने ये कहा
तू जहाँ भी जाएगा मेरे हवाले जाएगा

तेरी नादानी ये तेरा ज़ोम है तू याद रख
एक ही आँसू तिरी दुनिया बहा ले जाएगा

अपना क्या है हर नफ़स पर ग़ैर का अब अक्स है
दुश्मन-ए-जानी भी आया तो दुआ ले जाएगा