कुछ तो नया किया है हवा ने पता करो
बरहम हैं क्यूँ चराग़ पुराने पता करो
मेरा भी एक अब्र के टुकड़े पे नाम है
आएगा कब वो प्यास बढ़ाने पता करो
किस किस ने सब्ज़ पेड़ गिराए हैं इस बरस
बारिश ने आँधियों ने हवा ने पता करो
कुछ दिन से मस्लहत का जनाज़ा उठाए हैं
जाएँगे किस तरफ़ ये दीवाने पता करो
शोहरत की रौशनी हो कि नफ़रत की तीरगी
क्या क्या उसे दिया है ख़ुदा ने पता करो
दुनिया पे कोई ऐब लगाने से पेशतर
दुनिया के सारे ऐब पुराने पता करो
'अंजुम' को हाफ़िज़े पे बहुत अपने नाज़ है
खाता है किस अनाज के दाने पता करो

ग़ज़ल
कुछ तो नया किया है हवा ने पता करो
अंजुम बाराबंकवी