EN اردو
कुछ लोग दिल की आड़ में रू-पोश हो गए | शाही शायरी
kuchh log dil ki aaD mein ru-posh ho gae

ग़ज़ल

कुछ लोग दिल की आड़ में रू-पोश हो गए

विश्मा ख़ान विश्मा

;

कुछ लोग दिल की आड़ में रू-पोश हो गए
आँखों में ख़्वाब आए तो ख़ामोश हो गए

साक़ी ने फिर पिलाई है कुछ ख़ास आँख से
यूँ हम भी पीते पीते ही मदहोश हो गए

हम कितने ख़ुश-नसीब हैं जो आप मिल गए
देखा जो जल्वा आप का बेहोश हो गए

जितने किए थे प्यार में अहद-ए-वफ़ा यहाँ
उन से वो अहद सारे फ़रामोश हो गए