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कुछ हिज्र के मौसम ने सताया नहीं इतना | शाही शायरी
kuchh hijr ke mausam ne sataya nahin itna

ग़ज़ल

कुछ हिज्र के मौसम ने सताया नहीं इतना

अदीम हाशमी

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कुछ हिज्र के मौसम ने सताया नहीं इतना
कुछ हम ने तिरा सोग मनाया नहीं इतना

कुछ तेरी जुदाई की अज़िय्यत भी कड़ी थी
कुछ दिल ने भी ग़म तेरा मनाया नहीं इतना

क्यूँ सब की तरह भीग गई हैं तिरी पलकें
हम ने तो तुझे हाल सुनाया नहीं इतना

कुछ रोज़ से दिल ने तिरी राहें नहीं देखीं
क्या बात है तू याद भी आया नहीं इतना

क्या जानिए इस बे-सर-ओ-सामानी-ए-दिल ने
पहले तो कभी हम को रुलाया नहीं इतना