कोई पूछे न हम से क्या हुआ दिल
हुआ क्या लुट गया दिल मिट गया दिल
ये कह कर दे दिया मुझ को मिरा दिल
हमें कोसेगा देगा बद-दुआ' दिल
मरना दे जाएगी मुझ को तिरी आँख
मज़ा दे जाएगा तुझ को मिरा दिल
चमन में जो खिला गुल मैं ये समझा
कि है मेरा ये मुरझाया हुआ दिल
उठेगा लुत्फ़ सोहबत का अभी तो
नए तुम हो नए हम हैं नया दिल
किसी से यूँ दग़ा करते नहीं हैं
अरे ओ बे-मुरव्वत बेवफ़ा दिल
क़यामत है तुम्हारी चुलबुली शक्ल
क़यामत है हमारा चुलबुला दिल
हमारा दिल हमारे काम का है
कहाँ पाएँ तुम्हारे काम का दिल
बहुत है जम को अपने जाम पर नाज़
ज़रा लाना मिरा टूटा हुआ दिल
किसी का ज़ोर फिर चलता नहीं है
किसी से जब किसी का मिल गया दिल
उसे किस मुँह से कहते हो बुरा तुम
तुम्हें किस दिल से देता है दुआ दिल
गया वो दाग़ ले कर दाग़ दे कर
निशानी दे गया दिल ले गया दिल
हसीं उस को बुरा समझे बची जाँ
बुरा बन कर बहुत अच्छा रहा दिल
कहें क्या किस ने लूटा किस को लूटा
लुटे हम तुम लुटा जोबन लुटा दिल
वही अच्छा था उस छाती की सिल से
बदल देता किसी बुत से ख़ुदा दिल
तुम्हारी राह में वो भी पड़ा है
ज़रा देखे हुए टूटा हुआ दिल
कोई अब मुफ़्त भी ख़्वाहाँ नहीं है
'रियाज़' ऐसा गया गुज़रा हुआ दिल
ग़ज़ल
कोई पूछे न हम से क्या हुआ दिल
रियाज़ ख़ैराबादी