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कोई नहीं पछताने वाला | शाही शायरी
koi nahin pachhtane wala

ग़ज़ल

कोई नहीं पछताने वाला

नूह नारवी

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कोई नहीं पछताने वाला
मर जाए मर जाने वाला

महफ़िल में आएगा क्यूँ कर
ख़ल्वत में शरमाने वाला

मैं रोकूँ लेकिन क्या रोकूँ
जाएगा घर जाने वाला

शुक्र ख़ुदा का हम करते हैं
काम आया काम आने वाला

सब्र मिरा बेकार न जाए
तड़पे वो तड़पाने वाला

अपना दिल बहलाऊँ किस से
है कौन आने जाने वाला

वो न मिलें मुझ को मिल जाए
कोई जी बहलाने वाला

दिल वो शय है जिस का शाकी
खोने वाला पाने वाला

लुत्फ़-ओ-करम फ़रमाता जाए
लुत्फ़-ओ-करम फ़रमाने वाला

सब से मुश्किल बात यही है
ज़िंदा हो मर जाने वाला

क्या समझे असरार-ए-मोहब्बत
दिल दे कर पछताने वाला

फूलों का मुरझाना देखे
कलियों पर इतराने वाला

जान मिरी है जाने वाली
दिल है उन पर आने वाला

या मैं हूँ या मेरा दिल है
रोज़ नया ग़म पाने वाला

'नूह' मोहब्बत की दुनिया में
है तूफ़ान उठाने वाला