कोई दुआ है या फिर बद-दुआ है मेरे लिए
ये कौन पिछले पहर रो रहा है मेरे लिए
मैं मो'तरिफ़ हूँ बहर-हाल उस की चाहत का
जो तर्क-ए-दुनिया किए जा रहा है मेरे लिए
पनाह अब किसी भी जाँ में ले लिया जाए
कि आसमाँ न ज़मीं कुछ बचा है मेरे लिए
मैं चाह के भी जुदा इस से हो नहीं सकता
अजीब बेबसी की इंतिहा है मेरे लिए
समझ न पाया उसे मैं न वो मुझे 'रिज़वान'
ये कोई वाहिमा या हादिसा है मेरे लिए

ग़ज़ल
कोई दुआ है या फिर बद-दुआ है मेरे लिए
ख़ान रिज़वान