कोई देता नहीं है दाद बे-दाद
कोई सुनता नहीं फ़रियाद फ़रियाद
कहें हैं क्या बला दाम-ए-बला है
तेरी ज़ुल्फ़ों को ऐ सय्याद सय्याद
न रख उम्मीद-ए-आसाइश जहाँ में
कि है दुनिया की बे-बुनियाद बुनियाद
तुझे माशूक़ियत के फ़न में महबूब
कहें हैं इश्क़ के उस्ताद उस्ताद
गई ग़फ़लत में सारी उम्र 'हातिम'
कि जैसी ख़ाक-ए-रह बर्बाद बर्बाद
ग़ज़ल
कोई देता नहीं है दाद बे-दाद
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम