कोई ऐसा कमाल हो जाए
हिज्र सारा विसाल हो जाए
एक इक लम्हा तेरी क़ुर्बत का
ज़िंदगी का जमाल हो जाए
आयतों की तरह ख़याल तिरा
उतरे और मुझ पे ढाल हो जाए
बाँध लूँ ख़ुद को ध्यान से तेरे
और बचाओ मुहाल हो जाए
आँख बेदारियों में खो जाए
रत-जगों की मिसाल हो जाए
तेरी ख़ुशबू हद-ए-वजूद में हो
और तकमील-ए-हाल हो जाए
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ग़ज़ल
कोई ऐसा कमाल हो जाए
नाहीद विर्क