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कितना अफ़्सुर्दा है ख़याल उस का | शाही शायरी
kitna afsurda hai KHayal us ka

ग़ज़ल

कितना अफ़्सुर्दा है ख़याल उस का

जावेद अकरम फ़ारूक़ी

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कितना अफ़्सुर्दा है ख़याल उस का
वो नहीं है तो है मलाल उस का

अक्स-दर-अक्स साया-ए-लर्ज़ां
आईना आईना जमाल उस का

कितना मुश्किल हुआ जवाब मुझे
कितना आसान था सवाल उस का

लौट आता है ज़ख़्मी ख़्वाब लिए
ख़ुश-यक़ीनी में एहतिमाल उस का

देर तक गुफ़्तुगू उदास रही
ख़ामुशी में भी था ख़याल उस का