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किसी का था वो फ़ुसूँ जो किया किया मैं ने | शाही शायरी
kisi ka tha wo fusun jo kiya kiya maine

ग़ज़ल

किसी का था वो फ़ुसूँ जो किया किया मैं ने

मिद्हत-उल-अख़्तर

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किसी का था वो फ़ुसूँ जो किया किया मैं ने
वो होश था कि जुनूँ जो किया किया मैं ने

जो हो चुका वही काफ़ी है दिल दुखाने को
अब और कुछ न करूँ जो किया किया मैं ने

मिरे वजूद में शामिल रहे हैं कितने वजूद
तो फिर ये कैसे कहूँ जो किया किया मैं ने

हर इक सवाल पे कितनों के नाम निकलेंगे
कोई जवाब न दूँ जो किया किया मैं ने

बहुत अज़ीम है दुश्मन करेगा कौन यक़ीन
किसी का नाम न लूँ जो किया किया मैं ने

ख़ुदा का शुक्र न बंदों का शुक्रिया वाजिब
इसी फ़रेब में हूँ जो किया किया मैं ने