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किसे ख़याल कि इशरत के बाब कितने हैं | शाही शायरी
kise KHayal ki ishrat ke bab kitne hain

ग़ज़ल

किसे ख़याल कि इशरत के बाब कितने हैं

अमर सिंह फ़िगार

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किसे ख़याल कि इशरत के बाब कितने हैं
ये प्यास कितनी है इस पर सराब कितने हैं

सफ़ीना घाट लगा देख हम ये भूल गए
कि वो सफ़ीने जो हैं ग़र्क़-ए-आब कितने हैं

तू ये न पूछ मिरे गाँव में हैं घर कितने
ये पूछ कौन से घर में अज़ाब कितने हैं

शरीक-ए-ग़म उसे कर तो लिया मगर सोचो
कि ज़िम्मेदार के ज़िम्मे जवाब कितने हैं

बड़ा ग़ुरूर है तुझ को अज़ीम लश्कर पर
कभी तो सोच तिरे हम-रिकाब कितने हैं

लचकती शाख़ पे काँटे भी कम नहीं होते
यही न देखिए किस पर गुलाब कितने हैं