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किसे ख़बर है मैं दिल से कि जाँ से गुज़रूँगा | शाही शायरी
kise KHabar hai main dil se ki jaan se guzrunga

ग़ज़ल

किसे ख़बर है मैं दिल से कि जाँ से गुज़रूँगा

बशीर सैफ़ी

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किसे ख़बर है मैं दिल से कि जाँ से गुज़रूँगा
जो बार बार सफ़-ए-दुश्मनाँ से गुज़रूँगा

यक़ीन भी तुझे आएगा मेरी हस्ती पर
यही नहीं कि मैं तेरे गुमाँ से गुज़रूँगा

हर एक शय मिरी जानिब ही मुल्तफ़ित होगी
मैं तेरे साथ अगर शहर-ए-जाँ से गुज़रूँगा

अँधेरी रात का मुझ को ज़रा भी ख़ौफ़ नहीं
कई चराग़ जलेंगे जहाँ से गुज़रूँगा

ज़मीन ज़ाद हूँ 'सैफ़ी' ज़मीं पे रहना है
न कहकशाँ न किसी आसमाँ से गुज़रूँगा