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किस तरह चुभते हुए ख़ार से ख़ुश्बू आए | शाही शायरी
kis tarah chubhte hue Khaar se KHushbu aae

ग़ज़ल

किस तरह चुभते हुए ख़ार से ख़ुश्बू आए

मीना नक़वी

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किस तरह चुभते हुए ख़ार से ख़ुश्बू आए
फूल हों लफ़्ज़ तो इज़हार से ख़ुश्बू आए

नन्हे ग़ुंचों से खिला रहता है आँगन दिल का
यूँ महकती हूँ कि घर-बार से ख़ुश्बू आए

गर्दिश-ए-वक़्त की तारीकी से डरना कैसा
साथ हो वो तो शब-ए-तार से ख़ुश्बू आए

जज़्बा-ए-दिल में जो सच्चाई की धड़कन उभरे
इश्क़ लोबान बने प्यार से ख़ुश्बू आए

बस वही लोग मोहब्बत के हैं क़ाबिल 'मीना'
जिन के आ'माल से किरदार की ख़ुश्बू आए