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किस लिए फिरता हूँ तन्हा न किसी ने पूछा | शाही शायरी
kis liye phirta hun tanha na kisi ne puchha

ग़ज़ल

किस लिए फिरता हूँ तन्हा न किसी ने पूछा

रूही कंजाही

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किस लिए फिरता हूँ तन्हा न किसी ने पूछा
क्यूँ कहीं जी नहीं लगता न किसी ने पूछा

ज़ेहन आवारा दिल आवारा नज़र आवारा
कैसे इस हाल को पहुँचा न किसी ने पूछा

कौन है आया है किस देस से किस से मिलने
सब ने देखा मगर इतना न किसी ने पूछा

जाने क्या कहते अगर पूछता अहवाल कोई
ख़ैर ये भी हुआ अच्छा न किसी ने पूछा

बे-तअल्लुक़ हुए 'रूही' अजब अंदाज़ से लोग
किस पे क्या हादसा गुज़रा न किसी ने पूछा