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किस को है हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद का दावा देखें | शाही शायरी
kis ko hai husn-e-KHuda-dad ka dawa dekhen

ग़ज़ल

किस को है हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद का दावा देखें

गोपाल मित्तल

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किस को है हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद का दावा देखें
किस का चेहरा नहीं मिन्नत-कश-ए-ग़ाज़ा देखें

जो मुक़द्दर है वो अंजाम-ए-तमन्ना देखें
दिल-ए-वहशत-ज़दा चल आज उसे जा देखें

दिल ये कहता है कि हुस्न उस का जहाँ-ताब भी हो
और फिर ये भी है कि हम ही उसे तन्हा देखें

आओ कुछ जश्न-ए-शहादत ही में शिरकत हो जाए
अपनी खिड़की ही से मक़्तल का नज़ारा देखें

कौन मंजधार में जाए सर-ए-साहिल बैठें
दूर से डूबने वालों का तमाशा देखें

अब भी होता है वहाँ ज़िक्र हमारा कि नहीं
आलम उस बज़्म का अब क्या है ज़रा जा देखें