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किस किस के आँसू पूछोगे और किस किस को बहलाओगे | शाही शायरी
kis kis ke aansu puchhoge aur kis kis ko bahlaoge

ग़ज़ल

किस किस के आँसू पूछोगे और किस किस को बहलाओगे

शाहिद इश्क़ी

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किस किस के आँसू पूछोगे और किस किस को बहलाओगे
इक दिन आएगा तुम भी शामिल उन में हो जाओगे

रंग हवा मैं तैर रहे हैं तितली का बहरूप लिए
सारे रंग उतर जाएँगे तुम गर हाथ लगाओगे

उम्र-ए-अज़ीज़ गँवाई अपनी सायों का पीछा करते
साए किस के हाथ आए हैं और तुम भी क्या पाओगे

चौथे खूँट को जा तो रहे हो लेकिन ये वो रस्ता है
तुम ने अगर मुड़ कर देखा तो पत्थर के हो जाओगे

सैल-ए-हवादिस में हम सब अब पत्थर बन कर ज़िंदा हैं
कैसे शेर कहोगे 'इश्क़ी' किस को शेर सुनाओगे