किस ख़ुशी की तलब नहीं दिल में
दर्द कुछ बे-सबब नहीं दिल में
आप का इंतिज़ार है फिर भी
बेकली गो कि अब नहीं दिल में
ग़म-ए-दौराँ का हो हरा वर्ना
आप की याद कब नहीं दिल में
जाने क्या गुल खिलाए शाम-ए-बहार
हसरत-ए-ज़ुल्फ़-ओ-लब नहीं दिल में
कौन सी है वो आरज़ू कि 'सलाम'
आज भी तिश्ना-लब नहीं दिल में
ग़ज़ल
किस ख़ुशी की तलब नहीं दिल में
ऐन सलाम