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ख़्वाबों के सनम-ख़ाने जब ढाए गए होंगे | शाही शायरी
KHwabon ke sanam-KHane jab Dhae gae honge

ग़ज़ल

ख़्वाबों के सनम-ख़ाने जब ढाए गए होंगे

एज़ाज़ अफ़ज़ल

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ख़्वाबों के सनम-ख़ाने जब ढाए गए होंगे
उस दौर के सब आज़र बुलवाए गए होंगे

तू भी न बची होगी ऐ आफ़ियत-अंदेशी
हर सम्त से जब पत्थर बरसाए गए होंगे

फिर उस ने मसाइल का हल ढूँड लिया होगा
फिर लोग मसाइल में उलझाए गए होंगे

हम गुज़रे कि तुम गुज़रे ये देखने कौन आता
थे जितने तमाशाई सब लाए गए होंगे

यारान-ए-क़दह से कुछ लग़्ज़िश भी हुई होगी
दानिस्ता भी कुछ साग़र छलकाए गए होंगे

'अफ़ज़ल' का मुक़द्दर है हक़-गोई-ओ-रुसवाई
सच बात कही होगी झुटलाए गए होंगे