ख़्वाब तो ख़्वाब है ता'बीर बदल जाती है
दिल के आईने में तस्वीर बदल जाती है
अब सलीबों पे कहाँ गुल-शुदा शम्ओं' की क़तार
आन की आन में तहरीर बदल जाती है
सुर तो बदले हैं न बदलेंगे मगर वक़्त के साथ
ज़ुल्म के हाथ में शमशीर बदल जाती है
रोज़ बनता है कोई आग के तीरों का हदफ़
रेत पर ख़ून की ज़ंजीर बदल जाती है
दिल के पत्थर की लकीरें तो नहीं मिट सकतीं
कशिश-ए-ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर बदल जाती है
तिनका तिनका है क़फ़स भी तो नशेमन की तरह
हाँ फ़क़त हसरत-ए-तामीर बदल जाती है
इन हवाओं में हो दिल किस का निशाना 'तनवीर'
जब भी देखो रविश-ए-तीर बदल जाती है
ग़ज़ल
ख़्वाब तो ख़्वाब है ता'बीर बदल जाती है
तनवीर अहमद अल्वी