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ख़्वाब में तेरा आना-जाना पहले भी था आज भी है | शाही शायरी
KHwab mein tera aana-jaana pahle bhi tha aaj bhi hai

ग़ज़ल

ख़्वाब में तेरा आना-जाना पहले भी था आज भी है

हस्तीमल हस्ती

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ख़्वाब में तेरा आना-जाना पहले भी था आज भी है
तुझ से इक रिश्ता अन-जाना पहले भी था आज भी है

रंग बदलती इस दुनिया में सब कुछ बदल गया लेकिन
मेरे लबों पर तेरा फ़साना पहले भी था आज भी है

अपने दुख-सुख कह लेना कभी हँस लेना कभी रो लेना
तन्हाई से अपना याराना पहले भी था आज भी है

जिस पंछी की परवाजों में जोश-ए-जुनूँ भी शामिल हो
उस की ख़ातिर आब-ओ-दाना पहले भी था आज भी है

राह-ए-वफ़ा में फूल नहीं हैं ख़ार बहुत हैं 'हस्ती' जी
प्यार का दुश्मन सारा ज़माना पहले भी था आज भी है