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ख़्वाब आईना कर रही है दिल में | शाही शायरी
KHwab aaina kar rahi hai dil mein

ग़ज़ल

ख़्वाब आईना कर रही है दिल में

यूसुफ़ हसन

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ख़्वाब आईना कर रही है दिल में
जो उम्र गुज़र रही है दिल में

आहंग-ए-वजूद बन के हर दम
इक मौज-ए-दिगर रही है दिल में

हर साँस धुआँ धुआँ है लेकिन
चाँदी सी निखर रही है दिल में

महकी हुई दर्द की चमेली
क्या रौशनी भर रही है दिल में

बस्ती में जमे रहे अँधेरे
बे-ताब सहर रही है दिल में

रह रह के विसाल की तमन्ना
क्या क्या रस भर रही है दिल में

आवारा भी हम हुए तो 'यूसुफ़'
इक सम्त-ए-सफ़र रही है दिल में