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ख़ूब निभेगी हम दोनों में मेरे जैसा तू भी है | शाही शायरी
KHub nibhegi hum donon mein mere jaisa tu bhi hai

ग़ज़ल

ख़ूब निभेगी हम दोनों में मेरे जैसा तू भी है

फ़राग़ रोहवी

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ख़ूब निभेगी हम दोनों में मेरे जैसा तू भी है
थोड़ा झूटा मैं भी ठहरा थोड़ा झूटा तू भी है

जंग अना की हार ही जाना बेहतर है अब लड़ने से
मैं भी हूँ टूटा टूटा सा बिखरा बिखरा तू भी है

जाने किस ने डर बोया है हम दोनों की राहों में
मैं भी हूँ कुछ ख़ौफ़-ज़दा सा सहमा सहमा तू भी है

इक मुद्दत से फ़ासला क़ाएम सिर्फ़ हमारे बीच ही क्यूँ
सब से मिलता रहता हूँ मैं सब से मिलता तू भी है

अपने अपने दिल के अंदर सिमटे हुए हैं हम दोनों
गुम-सुम गुम-सुम मैं भी बहुत हूँ खोया खोया तू भी है

हम दोनों तज्दीद-ए-रिफ़ाक़त कर लेते तो अच्छा था
देख अकेला मैं ही नहीं हूँ तन्हा तन्हा तू भी है

हद से 'फ़राग़' आगे जा निकले दोनों अना की राहों पर
सर्फ़-ए-पशेमाँ मैं ही नहीं हूँ कुछ शर्मिंदा तू भी है