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ख़ूब नासेह की नसीहत का नतीजा निकला | शाही शायरी
KHub naseh ki nasihat ka natija nikla

ग़ज़ल

ख़ूब नासेह की नसीहत का नतीजा निकला

रहमत क़रनी

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ख़ूब नासेह की नसीहत का नतीजा निकला
हम ने अश्कों को सँभाला तो कलेजा निकला

तेरे रिंदों को जलाती रही सहराओं की धूप
कितना बे-फ़ैज़ तिरी ज़ुल्फ़ों का साया निकला

ईद का चाँद जो देखा तो तमन्ना लिपटी
उन से तक़रीब-ए-मुलाक़ात का रिश्ता निकला

हैफ़ कि फूल हैं मुहताज-ए-नसीम-ओ-शबनम
मर्हबा चीर के पत्थर को जो सब्ज़ा निकला

आहट आहट पे गुमाँ गुज़रे है वो आ पहुँचे
दिल-ए-नादाँ के बहलने का तरीक़ा निकला

दामन-ए-दोस्त ने बोसों से नवाज़ा 'रहमत'
मुझ से बेहतर मिरे अश्कों का नसीबा निकला