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ख़ुशी के वक़्त भी तुझ को मलाल कैसा है | शाही शायरी
KHushi ke waqt bhi tujhko malal kaisa hai

ग़ज़ल

ख़ुशी के वक़्त भी तुझ को मलाल कैसा है

अबरार हामिद

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ख़ुशी के वक़्त भी तुझ को मलाल कैसा है
उरूज-ए-हुस्न में नक़्स-ए-कमाल कैसा है

जो एक दूजे को चाहें तो क्यूँ न अपना लें
ये दिल से पूछ के बतला ख़याल कैसा है

नहीं जो आने के सब उन की राह तकते हैं
ये इंतिज़ार का शहर-ए-वबाल कैसा है

है जिस के साथ जुड़े इक हज़ार इक ख़दशे
वो हिज्र कैसा है 'हामिद' विसाल कैसा है