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ख़ुशबू है शरारत है रंगीन जवानी है | शाही शायरी
KHushbu hai shararat hai rangin jawani hai

ग़ज़ल

ख़ुशबू है शरारत है रंगीन जवानी है

सैफ़ी प्रेमी

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ख़ुशबू है शरारत है रंगीन जवानी है
यादों के परिस्ताँ में शीशे की कहानी है

माज़ी की हक़ीक़त है इस दौर में अफ़्साना
सीता भी कहानी है मरियम भी कहानी है

दुश्मन से ख़तर वालो लम्हों पे नज़र रखना
हर लम्हा-ए-हस्ती भी तलवार का पानी है

होंटों का महक उठना आँचल का ढलक जाना
इन पाक गुनाहों की तारीख़ पुरानी है

इस शोख़ के मतवालो रग रग से लहू माँगो
पत्थर पे ग़म-ए-दिल की तस्वीर बनानी है

बरसात में भीगा है दोशीज़ा बदन उस का
नासेह को भी बुलवा लो अब आग में पानी है

तारीख़-ए-बदायूँ में मारूफ़ सुख़न-वर हैं
'सैफ़ी' की नज़र लेकिन गिर्वीदा-ए-'फ़ानी' है