EN اردو
ख़ुश-नुमा गरचे मद का हाला है | शाही शायरी
KHush-numa garche mad ka haala hai

ग़ज़ल

ख़ुश-नुमा गरचे मद का हाला है

जोशिश अज़ीमाबादी

;

ख़ुश-नुमा गरचे मद का हाला है
तेरे कानों का बाला बाला है

दर-ए-मय-ख़ाना का गदा हूँ मैं
बे-पियाला मिरा पियाला है

दिल-ए-सद-पारा ये बग़ल में न हो
दर्द दुख का मिरे रिसाला है

उस निगह उस मिज़ा की कुछ मत पूछ
एक बर्छी है एक भाला है

है दम ओ होश अपना बे-होशी
होश जब से यहाँ सँभाला है

कैसे वादा-ख़िलाफ़ से 'जोशिश'
हक़-तआला ने काम डाला है

मुझ को है इंतिज़ार ओ बेताबी
उस को हीला है और हवाला है