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ख़ुश-कुन ख़बर के धोके में रक्खा गया मुझे | शाही शायरी
KHush-kun KHabar ke dhoke mein rakkha gaya mujhe

ग़ज़ल

ख़ुश-कुन ख़बर के धोके में रक्खा गया मुझे

शमशीर हैदर

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ख़ुश-कुन ख़बर के धोके में रक्खा गया मुझे
शब भर सहर के धोके में रखा गया मुझे

उड़ने का इख़्तियार कहाँ मेरे पास था
बस बाल-ओ-पर के धोके में रक्खा गया मुझे

घर और घर के ख़्वाब से हिजरत के बा'द भी
क्यूँ बाम-ओ-दर के धोके में रक्खा गया मुझे