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ख़ुश जो आए थे पशेमान गए | शाही शायरी
KHush jo aae the pasheman gae

ग़ज़ल

ख़ुश जो आए थे पशेमान गए

ज़ेहरा निगाह

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ख़ुश जो आए थे पशेमान गए
ऐ तग़ाफ़ुल तुझे पहचान गए

ख़ूब है साहब-ए-महफ़िल की अदा
कोई बोला तो बुरा मान गए

कोई धड़कन है न आँसू न ख़याल
वक़्त के साथ ये तूफ़ान गए

तेरी एक एक अदा पहचानी
अपनी एक एक ख़ता मान गए

उस को समझे कि न समझे लेकिन
गर्दिश-ए-दहर तुझे जान गए