ख़ुलूस-ए-अल्फ़ाज़ काम आया निगाह-ए-अहल-ए-फ़ितन से पहले
नवेद-ए-दिल ने मुझे पुकारा सदा-ए-दार-ओ-रसन से पहले
वजूद-ए-चर्ख़-ए-कुहन से पहले क़याम-ए-दार-ओ-रसन से पहले
हमीं थे तेरे चमन की ज़ीनत बहार-ए-हुस्न-ए-चमन से पहले
सुकूत-ए-ग़म की अदा अदा को समझ सकें काश अहल-ए-आलम
इशारा-हा-ए-लतीफ़ भी हैं जबीं पे नक़्श-ए-शिकन से पहले
बहार-ए-बे-कैफ़ किस लिए है गुलों पे रंग-ए-शिकस्त क्यूँ है
अभी तो कितनी ही बिजलियाँ हैं चमन में तर्क-ए-चमन से पहले
ग़ज़ल
ख़ुलूस-ए-अल्फ़ाज़ काम आया निगाह-ए-अहल-ए-फ़ितन से पहले
अर्शी भोपाली